महाभारत अध्याय 3: कर्मयोग – जीवन का मार्गदर्शन

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

महाभारत के भगवद गीता का तीसरा अध्याय, जिसे कर्मयोग कहा जाता है, मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और सारगर्भित शिक्षाओं में से एक है। यह अध्याय जीवन में कर्म के महत्व को समझाता है और यह दर्शाता है कि कैसे कर्म करते हुए भी मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए … Read more

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महाभारत: सांख्य योग – अध्याय 2: भगवान श्रीकृष्ण का अर्जुन को आत्मा, कर्म और जीवन-मृत्यु का ज्ञान

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

सांख्य योग श्रीमद्भगवद्गीता का दूसरा अध्याय है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में शामिल है। यह अध्याय अर्जुन के विषाद और मानसिक द्वंद्व के बाद आता है, जब अर्जुन ने युद्ध से पीछे हटने का निर्णय लिया था। इस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन, आत्मा, कर्म, और मृत्यु का गहन ज्ञान प्रदान किया। … Read more

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महाभारत अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग – इसमें अर्जुन का युद्ध से पहले का मानसिक द्वंद्व और उसके मन की स्थिति का वर्णन।

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

महाभारत अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग महाभारत के भीष्म पर्व का पहला अध्याय है और श्रीमद्भगवद्गीता का प्रथम अध्याय भी। इस अध्याय में महाभारत के युद्ध से पहले अर्जुन के मानसिक द्वंद्व और उनके मन में उठने वाले संदेहों का विस्तार से वर्णन है। यह अध्याय अर्जुन के अंतर्द्वंद्व को व्यक्त करता है, जहाँ वे … Read more

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भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ | part -1

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

भगवद गीता को हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रंथ माना जाता है, जो न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसे एक महान दार्शनिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शिका भी माना जाता है। इसके 700 श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को जीवन, कर्म, धर्म, और मोक्ष के बारे में विस्तार से समझाया। यह संवाद … Read more

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