माँ दुर्गा को हिंदू धर्म में शक्ति, साहस और समृद्धि की देवी माना जाता है। वे संसार की रक्षा करने वाली और दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली देवी हैं। माँ दुर्गा की स्तुति (प्रार्थना) का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे जपने से भक्त को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। दुर्गा स्तुति से न केवल व्यक्ति की सभी परेशानियाँ समाप्त होती हैं, बल्कि उसे आध्यात्मिक शांति और मानसिक बल भी मिलता है।
माँ दुर्गा की स्तुति का महत्त्व
माँ दुर्गा की स्तुति का नियमित पाठ करने से भक्त की सभी समस्याएँ दूर होती हैं और उसे माता की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तुति विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा पूजा और अन्य शुभ अवसरों पर की जाती है। दुर्गा स्तुति के माध्यम से व्यक्ति देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ-साथ अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करता है। माँ दुर्गा की स्तुति का यह प्रभाव माना जाता है कि यह व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और उसे आत्मबल और आत्मविश्वास प्रदान करती है।
माँ दुर्गा की कुछ प्रमुख स्तुतियाँ
माँ दुर्गा की कई स्तुतियाँ हैं, जिन्हें भक्त जन उनकी कृपा पाने के लिए जपते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्तुतियाँ इस प्रकार हैं:
1. दुर्गा सप्तशती
दुर्गा सप्तशती को सबसे शक्तिशाली स्तुति माना जाता है। इसमें माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की समस्याएँ दूर होती हैं और उसे मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
स्तुति:
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
अर्थ:
यह स्तुति माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों का आह्वान करती है और उनके द्वारा भक्त की रक्षा और सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करती है।
2. दुर्गा चालीसा
दुर्गा चालीसा भी माँ दुर्गा की एक प्रसिद्ध स्तुति है, जिसे भक्त नवरात्रि के समय विशेष रूप से पढ़ते हैं। इसमें माँ के चमत्कारी रूपों का गुणगान किया गया है और उनके द्वारा भक्तों की रक्षा और सुख-शांति की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है।
स्तुति (दुर्गा चालीसा के आरंभ के कुछ छंद):
नमो नमो दुर्गे सुख करनी,
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी,
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
अर्थ:
इस स्तुति में माँ दुर्गा को नमन किया जाता है और उनसे दुःख हरने तथा सुख प्रदान करने की प्रार्थना की जाती है। यह स्तुति माँ की अनंत शक्ति और उनके द्वारा सभी लोकों को प्रकाशित करने की महिमा का बखान करती है।
3. महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र माँ दुर्गा के महिषासुर का वध करने के रूप का गुणगान करता है। यह स्तुति विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो शत्रुओं से मुक्ति और विजय प्राप्त करना चाहते हैं।
स्तुति:
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते।
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।।
अर्थ:
यह स्तुति माँ दुर्गा के उस रूप की आराधना करती है, जिन्होंने महिषासुर जैसे दुष्ट राक्षसों का संहार किया। इस स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
4. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र दुर्गा सप्तशती का संक्षिप्त पाठ है। इसे जपने से माँ दुर्गा की कृपा तुरंत प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
स्तुति:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौं ह्रीं श्रीं दुर्गायै नमः।।
अर्थ:
यह स्तुति विशेष रूप से देवी चामुंडा का आह्वान करती है और भक्त की रक्षा करती है। इस स्तुति का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है और जीवन की समस्याएँ हल होती हैं।
माँ दुर्गा की स्तुति के जप के नियम
माँ दुर्गा की स्तुति का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति को स्तुति का पूरा फल प्राप्त होता है:
- स्नान और शुद्धता: माँ दुर्गा की स्तुति का पाठ करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
- समर्पण और भक्ति: स्तुति का पाठ पूरी भक्ति और समर्पण के साथ करना चाहिए। बिना भक्ति के पाठ करने से स्तुति का प्रभाव कम हो जाता है।
- नियमितता: माँ दुर्गा की स्तुति का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए, ताकि देवी की कृपा प्राप्त हो सके। नियमित पाठ से ही जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
- सही उच्चारण: माँ दुर्गा की स्तुति का सही उच्चारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। गलत उच्चारण से स्तुति का प्रभाव कम हो सकता है, इसलिए इसे सही ढंग से सीखकर पढ़ना चाहिए।
- ध्यान और एकाग्रता: स्तुति का पाठ करते समय ध्यान और एकाग्रता बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। बिना ध्यान के पाठ करने से स्तुति का पूरा लाभ नहीं मिलता है।
माँ दुर्गा की स्तुति के अन्य लाभ
माँ दुर्गा की स्तुति का नियमित पाठ करने से न केवल व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि वह मानसिक और शारीरिक शक्ति भी प्राप्त करता है। स्तुति का जप व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और उसे आत्मबल और धैर्य प्रदान करता है। इसके अलावा, स्तुति का पाठ जीवन के संकटों से मुक्ति दिलाने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में भी सहायक होता है।