आज की तिथि: 20 सितंबर 2024 – पावन मुहूर्त और विशेष दिन की जानकारी

 

हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्त्व होता है। यह केवल काल गणना का मापदंड नहीं है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी हर तिथि का अपना एक विशेष स्थान है। 20 सितंबर 2024 को कौन-सी तिथि है, उसके अनुसार कौन-कौन से धार्मिक अनुष्ठान और शुभ मुहूर्त हो सकते हैं, यह जानना आवश्यक है।

इस लेख में हम आपको 20 सितंबर 2024 की तिथि, उससे जुड़े पर्व, शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

आज की तिथि और पंचांग जानकारी

20 सितंबर 2024 को पंचांग के अनुसार निम्नलिखित जानकारी महत्वपूर्ण है:

  • तिथि: अष्टमी तिथि (कृष्ण पक्ष)
  • वार: शुक्रवार
  • माह: भाद्रपद (कृष्ण पक्ष)
  • नक्षत्र: पुनर्वसु नक्षत्र
  • योग: वैधृति योग
  • करण: बव करण
  • सूर्योदय: सुबह 06:10 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 06:30 बजे

अष्टमी तिथि का महत्व

अष्टमी तिथि का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व है, खासकर जब यह तिथि कृष्ण पक्ष में आती है। यह तिथि देवी दुर्गा की उपासना और व्रत के लिए विशेष मानी जाती है। अष्टमी तिथि पर देवी महालक्ष्मी, दुर्गा और काली की पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व है। इस दिन व्रत करने से साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।

कृष्ण पक्ष की अष्टमी का संबंध पितृपक्ष से भी होता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इसलिए यह दिन पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण होता है।

आज के विशेष मुहूर्त

धार्मिक और शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त का विशेष महत्त्व होता है। यदि आप 20 सितंबर 2024 को कोई धार्मिक कार्य या शुभ काम करने की योजना बना रहे हैं, तो नीचे दिए गए मुहूर्त आपके लिए उपयुक्त होंगे:

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:50 से 12:40 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:20 तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:50 से 06:15 तक
  • अमृत काल: रात 09:25 से 10:55 तक

इन मुहूर्तों का उपयोग आप पूजा-पाठ, अनुष्ठान, या किसी शुभ कार्य के लिए कर सकते हैं।

आज के व्रत और पर्व

कालाष्टमी व्रत

20 सितंबर 2024 को अष्टमी तिथि होने के कारण कालाष्टमी व्रत का आयोजन होता है। यह व्रत भगवान शिव के उग्र रूप कालभैरव की पूजा के लिए किया जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखकर और भगवान कालभैरव की उपासना करके अपने जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और दोषों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। कालाष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सुरक्षा बनी रहती है।

पितृपक्ष श्राद्ध

यह समय पितृपक्ष का होता है, जो हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। 20 सितंबर 2024 को श्राद्ध तिथि का भी महत्त्व है, क्योंकि इस दिन श्राद्ध करने से पितृगण तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त होता है। इस दिन पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोजन के माध्यम से पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

पुनर्वसु नक्षत्र का प्रभाव

20 सितंबर 2024 को पुनर्वसु नक्षत्र का योग बन रहा है, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक शुभ नक्षत्र माना जाता है। पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान किया गया कोई भी धार्मिक कार्य, जैसे पूजा, यज्ञ या व्रत, अत्यंत फलदायी होता है। यह नक्षत्र जीवन में पुनः सुख और समृद्धि लाने वाला होता है। इसलिए, यदि आप किसी नए कार्य की शुरुआत करने की योजना बना रहे हैं, तो यह नक्षत्र आपके लिए शुभ हो सकता है।

वैधृति योग का महत्त्व

20 सितंबर को वैधृति योग भी बन रहा है। वैधृति योग ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है, इसलिए इस योग के दौरान कोई भी नया कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए। हालांकि, इस योग के दौरान आध्यात्मिक कार्य, ध्यान और पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। अगर आप किसी धार्मिक अनुष्ठान या ध्यान की योजना बना रहे हैं, तो इस योग में इसे करना लाभकारी हो सकता है।

आज के उपाय और टोटके

  1. अष्टमी तिथि के उपाय: अष्टमी के दिन देवी दुर्गा का पूजन करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना और मां दुर्गा को लाल फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
  2. कालाष्टमी के उपाय: कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा की पूजा विशेष लाभकारी होती है। इस दिन काले कुत्तों को भोजन कराना और काले तिल दान करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  3. पितृपक्ष के उपाय: पितृपक्ष के दौरान रोजाना पितरों के नाम पर दीप जलाना और जल में तिल मिलाकर तर्पण करना पितरों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम तरीका है।

20 सितंबर 2024 की तिथि अष्टमी, कालाष्टमी और पितृपक्ष के कारण विशेष महत्त्व रखती है। इस दिन देवी दुर्गा और कालभैरव की पूजा के साथ-साथ पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। पुनर्वसु नक्षत्र और वैधृति योग के प्रभाव के साथ इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्त्व बढ़ जाता है। यदि आप इस दिन का सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो यह आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम ला सकता है।

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