आज हम आपको राम भक्त हनुमान जी की कथा बताने वाले है | हनुमान जी के जन्म से लेकर उनके महान कार्य आपको बताएंगे |
हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ –
हनुमान जी के माता का नाम अंजनी और उनके पिता का नाम वानरराज केशरी है | हनुमान जी ने वानरो के कुल मे जन्म लिया था |
एक दिन माता अंजनी भगवान शिव जी की पूजा मे विलिन थि और अयोध्या नगरी मे अयोध्या के राजा महाराज दशरथ और
उनकी चार पत्निया पुत्र प्राप्ति के लिये हवन कर रहे थे | हवन मे चारो राणीया बैठी थि | और ये हवन अयोध्या के सर्वश्रेष्ठ ऋषि कर रहे थे ऋषि ने हवन पूर्ण होने के बाद राजा दशरथ की चारो पत्नियों को खिर देदी | खिर देते समय अचानक एक पक्षी ने खिर उठायी और उडकर माता अंजनी जिस जगह पूजा कर रही थि उस जगह खिर रख दि |
माता अंजनी ने पक्षी को खिर रखते हुये देखा और शिव जी का प्रसाद समझके उस खिर का सेवन कर लिया | अयोध्यापति महाराज दशरथ के हवन का फल माता अंजनी को मिल गया और खिर के सेवन से अंजनी माता और वानर राज केशरी को पुत्र प्राप्ति हो गयी |
हनुमान जी के जन्म कि दुसरी कहानी भी प्रसिद्ध है वे कहानी भी हम आपको बताएंगे |
एक दिन माता अंजनी शिखर पर सूर्य जी को नमस्कार कर रही थि | और वहा पर तेज हवा चलने लगी | तेज हवा मे माता अंजनी के वस्त्र उड़ने लगे इस बात के माता अंजनी बोहोत क्रोधित हो गयी और उनको लगा की ये किसी मायावी राक्षस का काम है | और माता अंजनी क्रोधित होकर पुकारने लगी | तुरंत उस जगह स्वयम पवनदेव प्रकट हो गये और उन्होंने सबसे पेहले माता अंजनी की क्षमा मांगी और माता अंजनी को बताया की ये मेरी की कृति है |
मेरे वायु से आपके अंदर एक रूद्र का अंश प्रवेश करेगा और उस रूद्र के अंश से आपको पुत्र प्राप्ति होगी | आपके पति महाराज केशरी को जो वरदान प्राप्त है उस वरदान से आपको शक्तिशाली और ज्ञानी पुत्र प्राप्त होगा |
ये भगवान शिव जी और पवन देव की इच्छा के अनुसार हो रहा था और माता अंजनी के शरीर के जिस रूद्र के अंश ने प्रवेश किया था उससे माता अंजनी और महाराज दशरथ को महाबली हनुमान की प्राप्ति होती है |
हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया –
हनुमान जी का जन्म होने के बाद ओ अपने माता अंजनी और पिता महाराज केशरी की लाडले पुत्र थे |
माता अंजनी और महाराज केशरी को पुत्र प्राप्ति के लिये कठिन तपस्या करनी पड़ी थि ये हमने देख ही लिया | एक दिन हनुमान जी विश्राम कर रहे थे | और महाराज केशरी को पुत्र प्राप्ति के लिये कठिन तपस्या करनी पड़ी थि ये हमने देख ही लिया | एक दिन हनुमान जी विश्राम कर रहे थे |
और माता अंजनी बाहर गयी थि भूख से व्याकुल होकर हनुमान जी निंद से उठ गये और उन्होंने चमकते सूर्य को देखा और फल समाजके सूर्य की और उड़ने लगे |
धीरे धीरे उडकर हनुमान जी सूर्य की और बढ जाते है | और सूर्य को निगलते है | जैसे हि सूर्य हनुमान जी के मुह मे जाता है संपूर्ण पृथ्वी पर अंधेरा छाणे लगा | पूर्ण सृष्टिमंडल मे हाहाकार मच गया |
हनुमान और इंद्रदेव का यूद्ध –
हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया और पृथ्वी पर हाहाकार मच गया ये बात जैसे देवो के देव इंद्रदेव को पता चली | इंद्रदेव तुरंत अपनी सेना के साथ हनुमान जी के पास आ गये | उन्होंने सबसे पेहले हनुमान जी को समजाया परंतु बालवयीन हनुमान जी सुनने के लिये तयार ही नही थे |
आखिर इंद्रदेव यूद्ध करने के लिये आवाहन करते है और अपने धनुष्यबाण से बाण चलाते है | ओ बाण हनुमान जी अपने हाथो से तोड देते है | इंद्रदेव इस बात पर क्रोधित होकर बाणो पे बाण चलाते है मगर हनुमान जी पर कोई भी असर नही होता और बालवयींन हनुमान जी इंद्रदेव पर हास्य करते है |
आखिर अंत मे इंद्रदेव क्रोधित होकर वज्र चलाते है | वज्र से हनुमान जी सूर्यमंडल से गिरकर शीला पर गिरते है |
हनुमान जी गिरने के बाद सभी देव वहा प्रकट हो जाते है शिव जी, विष्णु जी, ब्रम्हा जी, इंद्रदेव, वायुदेव, विश्वकर्मा जी और सभी देवता एकत्रित होकर हनुमान जी को शक्ति प्रधान करते है और सूर्य की सूटका करते है |
और हनुमान जी जैसे जैसे बडे होते है वैसे ओ बलवान और शक्तिशाली होते है | आगे उनको प्रभु श्री राम जैसा गुरु और सीता माता जैसी गुरु माता मिलती और रामायण शुरु होता है |