श्रीमद्भगवद्गीता का सारांश: जीवन का मार्गदर्शन

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

श्रीमद्भगवद्गीता, जिसे संक्षेप में गीता कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है और भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद को दर्शाता है। गीता न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह मानव जीवन के हर पहलू पर गहन शिक्षा … Read more

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भगवद गीता अध्याय 13-18: प्रकृति, पुरुष, आत्मा का विज्ञान और मुक्ति का मार्ग

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

भगवद गीता के अध्याय 13 से 18 तक भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति, पुरुष, आत्मा के संबंधों, कर्म के महत्व, ज्ञान और मोक्ष के मार्ग पर विस्तार से चर्चा की है। ये अध्याय मानव जीवन के गूढ़ प्रश्नों को सुलझाने में मदद करते हैं और आत्मा, परमात्मा, और प्रकृति के गहरे रहस्यों को उजागर करते हैं। … Read more

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भगवद गीता अध्याय 7-12: भगवान के विविध रूप, भक्तियोग और भगवद भक्ति का महत्व

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

  भगवद गीता, जो भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद का सार है, जीवन को दिशा देने वाला अद्भुत ग्रंथ है। इसमें कर्म, भक्ति और ज्ञान के मार्ग को स्पष्ट किया गया है। गीता के अध्याय 7 से 12 तक भगवान ने अपने विभिन्न रूपों, भक्तियोग, और भक्ति के महत्व का विस्तार से वर्णन किया … Read more

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Bhagbat गीता अध्याय-4-6: ज्ञान, कर्म और त्याग का मर्म

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

Bhagbat गीता: बाघभट गीता, एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो वैदिक ज्ञान और दर्शन को समाहित करती है। इसका चौथा अध्याय “ज्ञान, कर्म और त्याग” का सार प्रस्तुत करता है। अध्याय-4 का प्रमुख विषय “ज्ञान-कर्म-संन्यास योग” है, जिसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान की महिमा, कर्म की प्रकृति और त्याग के महत्व को विस्तार … Read more

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महाभारत अध्याय 3: कर्मयोग – जीवन का मार्गदर्शन

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

महाभारत के भगवद गीता का तीसरा अध्याय, जिसे कर्मयोग कहा जाता है, मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और सारगर्भित शिक्षाओं में से एक है। यह अध्याय जीवन में कर्म के महत्व को समझाता है और यह दर्शाता है कि कैसे कर्म करते हुए भी मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए … Read more

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महाभारत: सांख्य योग – अध्याय 2: भगवान श्रीकृष्ण का अर्जुन को आत्मा, कर्म और जीवन-मृत्यु का ज्ञान

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

सांख्य योग श्रीमद्भगवद्गीता का दूसरा अध्याय है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में शामिल है। यह अध्याय अर्जुन के विषाद और मानसिक द्वंद्व के बाद आता है, जब अर्जुन ने युद्ध से पीछे हटने का निर्णय लिया था। इस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन, आत्मा, कर्म, और मृत्यु का गहन ज्ञान प्रदान किया। … Read more

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महाभारत अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग – इसमें अर्जुन का युद्ध से पहले का मानसिक द्वंद्व और उसके मन की स्थिति का वर्णन।

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

महाभारत अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग महाभारत के भीष्म पर्व का पहला अध्याय है और श्रीमद्भगवद्गीता का प्रथम अध्याय भी। इस अध्याय में महाभारत के युद्ध से पहले अर्जुन के मानसिक द्वंद्व और उनके मन में उठने वाले संदेहों का विस्तार से वर्णन है। यह अध्याय अर्जुन के अंतर्द्वंद्व को व्यक्त करता है, जहाँ वे … Read more

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भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ | part -1

भगवद गीता का परिचय, इसका महत्त्व, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ

भगवद गीता को हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रंथ माना जाता है, जो न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसे एक महान दार्शनिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शिका भी माना जाता है। इसके 700 श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को जीवन, कर्म, धर्म, और मोक्ष के बारे में विस्तार से समझाया। यह संवाद … Read more

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