नमस्कार दोस्तो मे आज आपको धन की जननी माता महालक्ष्मी की कहानी बताने वाला हु | माता महालक्ष्मी धन की देवी है | माता लक्ष्मी जी पूजा अर्चना करने से आपके घर मे सुख एव शांति मिलेगी और धन का लाभ होगा |
माता महालक्ष्मी को कई नामो से जाना जाता है | जैसे की पार्वती, सिंधूकन्या, महालक्ष्मी, लक्ष्मी, राजलक्ष्मी, ग्रहलक्ष्मी, सवित्री, राधीका, रासेश्वरी, चंद्रा, गिरीजा, पद्मा, मालती, सुशीला इन नामो से माता महालक्ष्मी जी को जाना जाता है |
माता महालक्ष्मी का व्रत –
माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये माता महालक्ष्मी व्रत कराया जाता है |
इस व्रत मे प्रत्येक गुरुवार को माता महालक्ष्मी की पूजा करते है | और माता महालक्ष्मी की कथा का अध्ययन करते है |महालक्ष्मी का व्रत स्त्री, पुरूष एव बच्चे भी कर सकते है | इस व्रत को करने के लिये आपको माता महालक्ष्मी व्रत की सम्पुर्ण जानकारी होनी चाहिये | आपको माता महालक्ष्मी व्रत की कोई जानकारी नही है तो आप कमेंट मे बताना मे आपको माता महालक्ष्मी व्रत की सम्पुर्ण जानकारी देने की पूरी कोशिश करुंगा |
माता महालक्ष्मी की कहानी –
एक छोटे से गाव मे ब्राम्हण और उसकी पत्नी रहती थी | ओ हरदिन माता महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करते थे |
ब्राम्हण हरदिन पीपल के पेड की पूजा करते रहते है | पीपल के पेड मे माता महालक्ष्मी का वास रहते है | ओ ब्राम्हण एक दिन पीपल के पेड की पूजा कर रहा था | तो पूजा करते समय अचानक पीपल के पेड से एक सुंदर कन्या प्रकट हुई | और ओ कन्या ब्राम्हण को कहने लगी | पिताश्री मे आपकी कन्या हु कृपया मुझे आपके घर ले चलो |
इस बात पर ब्राम्हण चिंतित हो गया | अगले दिन फिर ब्राम्हण फिर से पीपल के पेड की पूजा करने के लिये गया लेकिन अगले दिन ओ कन्या फिरसे प्रकट हो गयी | ये हरदिन चल रहा था | एक दिन ब्राम्हण चिंतित होके अपने पत्नी को बताया की मे जब पीपल के पेड की पूजा करता तब एक कन्या प्रकट होती है और मुझे घर ले जाने के लिये बोल रही है |
इस बात पर ब्राम्हण की पत्नी ब्राम्हण को उस कन्या को घर लाने के लिये कहती हैं | अगले दिन ब्राम्हण उस कन्या को अपने घर ले आता है | कन्या ब्राम्हण के घर खुशी से रहने लगी | एक दिन ब्राम्हण भिक्षा मांगने गया तो उस दिन ब्राम्हण को बाकी दिन से ज्यादा भिक्षा मिल गयी ब्राम्हण आचर्य चकित हो गया उसने पत्नी को भिक्षा से भोजन करने के लिये बोला |
तो ओ सुंदर कन्या बोली माता आज भोजन मे बनाउंगी माता बोलती है नही बेटा तुम छोटी हो भोजन मे ही बनाउंगी | कन्या बोलती है माता नही भोजन मे ही बनाउंगी |
तो माता कन्या के जिद पर उसे भोजन बना देती है | कन्या ब्राम्हण ने लाये भिक्षा से पक्वान बनाए | उस दिन ब्राम्हण के सारे परिवार ने पेटभर खाना खाया क्यूकी हरदिन ब्राम्हण का परिवार पेट भर खाना नही खा पाता था |
खाना खाने के बाद ब्राम्हण के पत्नी का भाई घर आता है | और बोलता है बहना मुझे बोहोत भूख लगी है | कृपया मुझे खाना दिजीये | ब्राम्हण की पत्नी चिंतित पडती क्यूकी घर का पुरा खाना समाप्त हो गया होता है | तो कन्या बोलती है माता क्या परेशानी है माता सारी परेशानी बताती और कन्या मामा के लिये खाना बनाती है |
रात को कन्या माता को बोलती है माता मे कोठे मे सोउंगी माता बोलती है नही बेटी तुम घर मे ही सोना लेकिन कन्या नही मानती है और ओ कोठे मे सो जाती है |
आधी रात मे चमत्कार हो जाता है | कन्या कोठे को धन और सोने से भरकर चली जाती है | और ब्राम्हण के पड़ोसी उस कन्या को देखता है | और सुबह पड़ोसी ब्राम्हण के पत्नी को सारी बाते बताता है |