काल भैरव जयंती 2024: तिथि, समय, पूजा विधि और महत्व

काल भैरव जयंती का महत्व

काल भैरव जयंती हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है, खासकर शैव भक्तों के लिए।

काल भैरव जयंती 2024 की तिथि और समय

  • तिथि: काल भैरव जयंती 2024 में 15 दिसंबर, रविवार को मनाई जाएगी।
  • पूजा का समय:
    • निशीथ काल: रात 11:47 बजे से 12:39 बजे तक।
    • अष्टमी तिथि आरंभ: 15 दिसंबर 2024 को सुबह 06:32 बजे।
    • अष्टमी तिथि समाप्त: 16 दिसंबर 2024 को सुबह 08:24 बजे।

काल भैरव की पूजा विधि

  1. शुद्धि और संकल्प
    पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। भगवान शिव और काल भैरव का ध्यान करें।
  2. पूजन सामग्री
    पूजा के लिए दीप, धूप, काले तिल, चावल, गुड़, तेल का दीपक, लाल पुष्प, और भोग तैयार रखें।
  3. मंत्र जाप
    काल भैरव के निम्न मंत्रों का जाप करें:

    • ॐ काल भैरवाय नमः।
    • ॐ हं षं नं गं कं खं महाकाल भैरवाय नमः।
  4. भोग अर्पण
    भगवान को नारियल, गुड़ और पान का भोग अर्पित करें।
  5. आरती और प्रसाद वितरण
    अंत में काल भैरव की आरती गाएं और प्रसाद बांटें।

काल भैरव जयंती का धार्मिक महत्व

काल भैरव को समय और मृत्यु का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से भय, रोग, और शत्रुओं का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

काल भैरव की कथा

पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने काल भैरव का रूप ब्रह्मा जी के अहंकार को समाप्त करने के लिए धारण किया। यह कथा यह सिखाती है कि अहंकार का विनाश जरूरी है।

काल भैरव के प्रमुख मंदिर

  • काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी: यह मंदिर काल भैरव के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।
  • काल भैरव मंदिर, उज्जैन: इसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित होने के कारण विशेष महत्व प्राप्त है।
  • काल भैरव मंदिर, दिल्ली: यह मंदिर भी भक्तों के लिए प्रसिद्ध है।

काल भैरव जयंती पर विशेष उपाय

  • अष्टमी तिथि पर काले कुत्तों को रोटी खिलाने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं।
  • घर में तेल का दीपक जलाकर “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • जरूरतमंदों को दान करें।

काल भैरव जयंती से जुड़े तथ्य

  1. काल भैरव को “कोतवाल” के रूप में भी जाना जाता है।
  2. उनकी सवारी कुत्ता है, जो वफादारी और सुरक्षा का प्रतीक है।
  3. उन्हें न केवल शिव भक्त, बल्कि तांत्रिक और अघोरी साधक भी पूजते हैं।

काल भैरव जयंती 2024 आत्मशुद्धि और भगवान शिव के रौद्र रूप को समझने का उत्तम समय है। इस दिन पूजा करने से न केवल नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

Share with

Leave a Comment