नमस्कार दोस्तों आज हम आपको बताएंगे की हिंदू धर्म मे मनाया जाने वाला उत्सव मतलब ” महाशिवरात्रि ” क्यू मनाई जाती हैं, और होली उत्सव की पौराणिक कथा |
महाशिवरात्रि की सभी जानकारी हम आपको देने वाले है | हमारे वेबसाइट पर सन, उत्सव की सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको बताइ जाती हैं | प्रभु श्रीराम के राममंदिर से लेकर सम्पुर्ण रामायण की कहानी हमने हमारे वेबसाइट पर डाली है आप उन्हे अवश्य पढ़ना | तो चलिए शुरू करते है होली की जानकारी |
महाशिवरात्रि की कहानी –
एक जंगल मे कुरद्रह नामक भील रहता था | भील जंगल मे अपने पत्नी और दो बच्चे के साथ रहता था | जंगल मे शिकार करना, चोरीया करना ये उस भील का काम था | भील अपने घर मे पत्नी और बच्चो के लिये शिकार करके ले आता था |
महाशिवरात्रि के दिन भील के घर खाने के लिये कुछ भी नही था | उस दिन उसके बच्चे भी भूख से व्याकुल थे |
तो भील की पत्नी भील को कहने लगी घर मे खाने के लिये कुछ भी नही है और हमारे बच्चे भी भूखे है उनके लिये आप जंगल से कुछ लेकर आ जाये |
अपने पत्नी की बात सुनकर भील जंगल मे शिकार करने के लिये चला गया | जंगल के घूमते – घूमते रात हो गयी लेकिन उस भील को शिकार करने के लिये कुछ भी नही मिला | आखिर परेशान होकर भील शिकारी की शोध मे जंगल के नदी की और चला गया | उसको लगा की रात के समय कोई ना कोई प्राणी जल ग्रहण करने के लिये जरूर आएगा |
भील हिरण का शिकार कर पायेगा –
शिकार की राह देखने के लिये भील बेल के वृक्ष के ऊपर बैठ गया चिंतित और व्याकुल भील पानी पीने लगा तो उसके हाथो जल बेल वृक्ष के निचे शिवलिंग पर गिर गये |
और भील के हाथो कुछ बेल पत्र भी शिवलिंग पर गिर गये महाशिवरात्रि के दिन ही ये होने पर भील का पाप धूल गया | तभी एक हिरणी वहा जल पीने के लिये आई भील ने उस हिरणी को देखा और प्रसन्न हो गया | तुरंत उसने हिरणी पर निशाना लगाया | हिरणी ने भील से कहा है व्याध क्या कर रहे हो? भील ने उत्तर दिया की मेरा परीवार भूख से व्याकुल है तुम्हारा शिकार करके मे तुम्हे अपने घरमे ले जाऊंगा और अपने परिवार की भूख मिटाउंगा | हिरणी ने उत्तर दिया की है व्याध आपके परिवार की भूख भागने पर मे तृप्त हो जाऊंगी लेकिन मेरे बच्चे आश्रम मे अकेले है मे उनको मेरे बहन के पास देकर आती हु |
लेकिन भील का उसके बात पर विश्वास नही होता है तभी हिरणी भगवान विष्णु की शपथ लेती है | तो भील उसे अपने घर जाने देता है | और उसकी राह देखने लगता है उसी दौरान वहापर दूसरी हिरणी आती है और शिकारी उसपर निशाना लगाता है | हिरणी पर निशाना लगाया तभी हिरणी बोली है व्याध क्या तुम मेरा शिकार करना चाहते हो? भील ने जवाब दिया की मेरा परिवार भूखा है | और मे उनके लिये शिकार कर रहा हु | हिरणी इस बात सुनकर दुखी हो गयी और उसने भील को बताया की मे मेरे बच्चे को मेरी बहन के पास सोफ कर लौट आती हु |
भील ने कहा की मेरा तुम्हारे ऊपर विश्वास नही है | तभी ओ हिरणी भगवान विष्णु की शपथ लेकर लौट आने का विश्वास दिया | भील ने उसे जाने दिया और राह देखने लगा तभी एक हिरण आया और हिरणी जैसा ही बोलकर चला गया | भील ने उसे भी जाने दिया |
भील को शिव जी प्रसन्न हो गये –
थोड़ी देर बाद वहापर तीनो मतलब दोनों हिरणी और हिरण आ गये और ओ भील को बोल रहे थे मूझे मारो हिरण कह रहा था उन दोनों हिरणी को छोड़ दो और मेरा शिकार करो और दोनों हिरणी कह रही थी उन हिरण को छोड़ देदो और मेरी शिकार करो |
भील को उन तीनो की दया आ गयी और उसने तीनो को घर जाने के लिये कहा तभी अचानक हिरण के अंदर से भगवान शिव जी प्रकट हो गये और उस भील को प्रसन्न हो गये | ये सभी महाशिवरात्रि के दिन हुआ था | इसीलिए ये कहानी को महाशिवरात्रि की कहानी कहते है |
दोस्तो आज हमने आपको शिव जी के महाशिवरात्रि की सम्पुर्ण कहानी के बारेमे जानकारी दी है | महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की आरती और पूजा विधि कराई जाती है | महाशिवरात्रि शिव जी का प्रिय उत्सव है | और ये उत्सव सभी शिव भक्त धूम धाम से मनाते है | महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरो मे भंडारो का आयोजन किया जाता है |
शिव जी का ये प्रिय उत्सव होने पर इस दिन शिव जी के ग्रंथ का पठन भी किया जाता है | आप भी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जी की पूजा अर्चना जरूर करिये इसे करने पर परिवार मे सुख शांति मिलती है | और शिव जी आपको जरूर प्रसन्न होंगे | आपको महाशिवरात्रि का आर्टिकल पसंद आया तो आपके दोस्त को जरूर शेयर करिये |