शिवपुराण की कहानी हिंदी | Shivpuran Ki kahani.

शिवपुराण की कहानी:  नमस्कार दोस्तों आज हम आपको शिवपुराण की कथा के बारेमे बताने वाले है | दोस्तो शिवपुराण भगवान शिव जी का ग्रंथ है | इसका पठन करने से शिव जी अवश्य प्रसन्न होंगे |

महर्षि वेदव्यास रचित शिव पुराण –

हिन्दुओ के 18 पवित्र पुराणों में से सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले पुराणों में से एक पुराण है। पुराणों की सूचि में शिव पुराण का चतुर्थ स्थान प्राप्त है। शिव पुराण सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण में भगवान शिव की महिमा और भक्ति का प्रचार-प्रसार किया गया है।

शिवपुराण की कहानी हिंदी | Shivpuran Ki kahani.
शिवपुराण की कहानी हिंदी | Shivpuran Ki kahani

परिचय –

शिव पुराण’ का सम्बन्ध शैव मत से है। इस पुराण में 6 खण्ड और 24000 श्लोक है। इस पुराण में भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन कहा गया है। शिव पुराण में देवो के देव महादेव का कल्याणकारी स्वरूप का यथार्थ विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का सविस्तार वर्णन कहा गया है।

शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा और भक्ति के अतिरिक्त पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर वर्णन और भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। भगवान शिव जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं।

लगभग सभी पुराणों में भगवान शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। भगवान शिव सहज रूप से ही प्रसन्न हो जाते है,और मनोवांछित फल देने वाले हैं। परंतु शिव पुराण में भगवान शिव का जीवन चरित्र, उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के बारे में विशेष वर्णन किया गया है। इस पुराण में 6 खण्ड हे, जो निम्नलिखित है।

 

1 ) विद्येश्वर संहिता

 

2 ) रुद्र संहिता

 

3 ) कोटिरुद्र संहिता

 

4 ) कैलास संहिता

 

5 ) वायु संहिता

 

6 ) उमा संहिता

 

 

 

शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंग –

शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह अति प्राचीन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास है। सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन का विशेष महत्व रहा है। इन 12 ज्योतिर्लिंग के नाम निम्नलिखित है।

1) सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित यह ज्योतिर्लिंग सबसे प्राचीन और पृथ्वी का प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव द्वारा की गई है।

 

 

2) मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर बिराजमान है।

 

3) महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में स्थित है। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है।

 

4) ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मालवा क्षेत्र में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के चारों और पहाड़ और नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है।

 

5) केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिल्ले में हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है।

 

6) भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे के पास सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है।

 

7) काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

 

 

8) त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग के निकट ब्रह्मागिरि नाम क पर्वत है। ब्रह्मागिरि पर्वत से गोदावरी नदी उद्गम स्थान है।

 

9) वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग झारखण्ड राज्य के संथाल परगना के पास स्थित है।भगवान शिव के इस वैद्यनाथ धाम को चिताभूमि कहा गया है।

 

10) नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका क्षेत्र में स्थित है।

 

11) रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से बनाया था।

 

12) घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।

 

शिव पुराण का महत्व –

शिव भक्त के लिए शिव पुराण का बडा महत्त्व है। शिव पुराण में परात्मपर परब्रह्म परमेश्वर के भगवान ‘शिव’ के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का वर्णन किया गया है। शिव पुराण का पठन करना और श्रद्धा पूर्वक श्रवण करना सर्वसाधनरूप है। शिव पुराण के अनुसार मनुष्य शिव भक्ति को पाकर श्रेष्ठतम स्थिति पर पहुँचता हे वह शिवपद को प्राप्त कर लेता है। इस पुराण को निः स्वार्थ होकर श्रद्धा से श्रवण करने से मुनष्य सभी पापो से मुक्त होकर इस जीवन में बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगों का उपभोग करके अन्त में शिवलोक प्राप्त हो जाता है।

 

दोस्तो इस आर्टिकल मे हमने शिवपुराण के बारेमे सभी जानकारी दी है | कल से हम शिवपुराण की सभी अध्याय आपको बताएँगे | शिवपुराण मे भगवान शिव जी के बारेमे बताया है | ये हमने आपको बताया है |

 

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