मकर संक्रांति क्यू मनाई जाती है | Makar sankranti kyu manate hai.

मकर संक्रांति क्यू मनाई जाती है (Makar sankranti kyu manate hai): हिंदू धर्म मे बोहोत सारे सन उत्सव है | और हम हिंदू उनको धूम धाम से मनाते है |हिंदू धर्म मे धूम धाम से मनाया जाने वाला सन मतलब मकर संक्रांति | मकर संक्रांति सन की पौराणिक कथा है| और उस कथा मे मकर संक्रांति का महत्व बताया गया है |
मकर संक्रांति के दीन सूर्य धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करता है उसको मकर संक्रांति केहते है | विविध राज्यो मे ही नही तो देशो मे मकर संक्रांति मनाया जाता हैं |

मकर संक्रांति क्यू मनाई जाती है
मकर संक्रांति क्यू मनाई जाती है

जैसे की श्रीलंका, मवेशिआ और नेपाल आदि देशों मे मकर संक्रांति धूम धाम से मनाया जाता है | विविध राज्यो में मकर संक्रांति को विविध नामो से पहचाना जाता हैं | महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यो मे मकर संक्रांति, राजस्थान और उत्तर प्रदेश मे सकरात और दक्षिण भारत मे पोंगल नाम से जाना जाता हैं | आपके राज्यो मे मकर संक्रांति को किस नाम से जाना जाता हैं | कमेंट मे जरूर बताना |

मकर संक्रांति की अधिक जानकारी -
मकर संक्रांति की अधिक जानकारी –

मकर संक्रांति की अधिक जानकारी –

दोस्तो इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी | इस साल मे ही नही तो हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी और 15 जनवरी के दिन मनाई जाती है |
हिंदू धर्म के राशि पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति अश्व पर बैठकर पधारी है | हांथ मे भाला और काले वस्त्र परिधान किया है |
वाहन अश्व और उपवाहन शेरनी है | पंचांग के अनुसार पुण्यकाल और महापुण्यकाल भी दिया है | ठीक 15 जनवरी को सुबह 6:15 बजे से लेकर शाम के 5:43 बजे तक पुण्यकाल और सुबह 7:15 बजे से लेकर सुबह 9:06 बजे तक महापुण्यकाल है |

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिये -
मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिये –

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिये –

हिंदू धर्म मे प्रत्येक उत्सव के दिन शुभ अवसर पर शुभ काम हम करते है | जैसे कि भूमिपूजन, नये घर का अनावरण, शादी का शुभमुहूर्त आदि शुभ काम हम उत्सव के दिन करते है |
मकर संक्रांति के दिन आप शादी नही कर सकते पर शादी के अलावा बाकी शुभ काम आप मकर संक्रांति के दिन कर सकते है | लाल और पिले रंग के वस्त्र परिधान करना शुभ बताया गया है |
मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल मे आप पूजा विधि कर सकते है | अपने देवी – देवता कि पूजा आप पुण्यकाल मे कर सकते है | सभी घरो मे मकर संक्रांति के दिन तिल और गुल का प्रसाद बनाया जाता है | और तिल गुल के प्रसाद के साथ फल का प्रसाद भी देवता ओ को अर्पित किया जाता है |

पोंगल की सभी जानकारी –

मकर संक्रांति जैसा ही उत्सव मतलब पोंगल | दक्षिण भारत ( तमिलनाडु) मे पोंगल बडे धूम धाम से मनाया जाता हैं |
सभी तमिल पोंगल के दिन अपने नये दिन की शुरूवात करते है | देशभर दिवाली जितनी धूम धाम से मनाते हैं वैसे ही तमिल लोग पोंगल मनाते हैं | पोंगल चार दिन मनाया जाता है | चार दिन अलग अलग देवो की पूजा करी जाती हैं | और चार दिन का महत्व बताया है |

पोंगल की सभी जानकारी -
पोंगल की सभी जानकारी –

1) भोगी पोंगल –

सबसे पेहले दिन को भोगी पोंगल केहते है | भोगी पोंगल के दिन सारे तमिल लोग अपने घर को साफ करके सजाते है |
घर के सामने कोमल मतलब रंगोली बनाई जाती है | शास्त्रो मे रंगोली को पवित्र स्थान दिया है |
भोगी पोंगल का दीन देवो के देव इंद्रदेव को समर्पित किया है | भोगी पोंगल की बोहोत सुंदर कहानी है | हम ओ कहानी सुनेंगे

1) भोगी पोंगल -
1) भोगी पोंगल –

• भोगी पोंगल की कहानी –

द्वापार युग मे भोगी पोंगल को इंद्रदेव की पूजा करते थे | इस बात पर इंद्रदेव को बोहोत अहंकार था | इंद्रदेव को लगता था मे सबसे श्रेष्ठ है | सब मेरी पूजा – अर्चना करते है |
तो इस बात पर श्री कृष्ण ने पृथ्वि पर जाकर संदेश दिया कि इस साल कोई भी इंद्रदेव की पूजा नही करेगा | इस साल से सभी गोवर्धन पर्वत की पूजा करेंगे |
तबसे सारे लोग भोगी पोंगल के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे | क्रोधित होकर इंद्रदेव ने जोरसे वर्षा और हवा चलाई | पृथ्वि पर हाहाकर मच गया | तभी कृष्ण देव ने सभी लोगो को गोवर्धन पर्वत पर बिठाकर गोवर्धन पर्वत को उंगली से उठाया | तभी क्रोधित इंद्रदेव को सभकी क्षमा मांगणी पड़ी थी |

2) सूर्य पोंगल –

सूर्य पोंगल के दिन सूर्य देव की पूजा करते हैं | पोंगल का मतलब है उबालना इस दिन मिट्टी के बर्तन मे पोंगल उबालते है | पोंगल एक खिर का प्रकार है | गन्ने और चावल से पोंगल बनाया जाता है |और सूर्य देव को पोंगल का प्रसाद दिया जाता है |

3) मठु पोंगल –

मठु का मतलब शिव जी का वाहन नंदी इस दिन नंदी की पूजा करते है | मठु पोंगल की भी एक छोटी सी पौराणिक कथा है |

मठु पोंगल की कहानी –

शिव जी अपने वाहन नंदी को केहते है पृथ्वि पर जाओ और लोगो को बताओ की हरदिन स्नान करना है | और महीने मे एकबार भोजन करना है |
मगर नंदी पृथ्वि पर जाकर उल्टा बताता है | की महीने मे एक दिन स्नान करना है और हरदिन भोजन करना है | इस बात पर क्रोधित होकर शिव जी नंदी को श्राप देते है | की तुम पृथ्वि पर हि रहोगे और किसानो की सेवा करोगे तभी से नंदी पृथ्वि पर मौजुद है |

मठु पोंगल की कहानी -
मठु पोंगल की कहानी –

4) कानुम पोंगल –

कानुम पोंगल के दिन सभी परिवार और रिश्तेदार वाले एक दूसरे को मिलते है |
कानुम पोंगल परिवार को मिलने के लिये मनाया जाता है | इस दिन परिवार वाले सभी जगह जाकर भेट देकर आते है |

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