रामायण की कहानी, लंकाकाण्ड -6 | ramayan ki kahani lankakand.

रामायण की कहानी, लंकाकाण्ड -6 | ramayan ki kahani lankakand.

रामायण की कहानी: नमस्कार दोस्तों आज हम आपको रामायण का लंकाकाण्ड के बारेमे जानकारी देंगे | कल हमने आपको सुंदरकाण्ड की जानकारी दी | आज का आर्टिकल थोड़ा बडा होगा | आज हम आपको सभी तरह की जानकारी प्रधान करेंगे |

रामायण की कहानी, लंकाकाण्ड -6 | ramayan ki kahani lankakand.
रामायण की कहानी, लंकाकाण्ड -6 | ramayan ki kahani lankakand.

लंकाकाण्ड – 

हनुमान जी लंका दहन के बाद राम जी को मिलने के लिये गये और प्रभु श्रीराम के आदेश से सभी वानर सेना एवं हनुमान, जामवंत, अंगद मिलकर लंका मे प्रवेश करने की योजना बनाते है | लंका मे प्रवेश करने के लिये सबसे पहले विशाल समुद्र को पार करना पड़ेगा तभी लंका मे प्रवेश कर सकते है ये बात प्रभु श्रीराम को मालूम थी |

प्रभु श्रीराम और सभी वानर सेना समुद्र की तरफ जाकर विचार करने लगते है |

 

रामसेतू की रचना – 

प्रभु श्रीराम समुद्र मे बाण चलाने की कोशिश करते है | उस बाण से समुद्र का सारा जल सुख जाएगा और एक विशाल समुद्र नष्ट होगा |

इस बातपर समुद्र देव प्रकट हो गये और उन्होंने प्रभु श्रीराम को रोखा | और उन्होंने बताया की है प्रभु आप समुद्र मे बाण न चलाये इससे पृथ्वी लोक को हानि होगी और जलाशय मे रहने वाले सम्पुर्ण जल जीव का विनाश होगा |

है प्रभु आप पत्थर पर आपका नाम लिखकर समुद्र मे अर्पित करो ओ पत्थर समुद्र के जल पर तरंगेगा | और इस पत्थर का प्रयोग करके आप लंका मे पोहच सकते हो |

समुद्र जिस तरह कहते है उसी तरह वानर सेना काम मे लग जाती है | पत्थर मे प्रभु श्रीराम का नाम लिखकर उस पत्थर को समुद्र जल मे डालते है | और पत्थर तरंगने लगता है | वानर सेना खुशी से इस काम को पूरा करती है | और राम के नाम के पत्थर से राम सेतु की रचना हो जाती है |

 

प्रभु श्रीराम का लंका मे प्रवेश – 

रामसेतू के बनने के बाद प्रभु श्रीराम को सम्पुर्ण वानर सेना लंका की और प्रस्थान करती है | लंका के जंगलो मे श्री राम सम्पुर्ण वानर सेना के साथ पर्णकुटी मे रहने लगते है |

अगले दिन प्रभु श्रीराम रावण को युध्द के लिये ललकार ते है | प्रभु श्रीराम और रावण के बिछ होने वाली युध्द ना हो ये रावण को समझने के लिये रावण के भाई बीबीषण रावण के पास जाते है लेकिन रावण ने बीबीषण की एक भी ना सुनी |

रावण ने बीबीषण को लाथ मारके लंका से बाहर निकाल दिया और कुलद्रोही का इजाम बीबीषण पर लगाया | बीबीषण जी ने लंका से बाहर जाकर प्रभु श्रीराम के पास रहने लगे |

और प्रभु श्रीराम और रावण के बिछ की लढाई शुरू हो गई | रावण के पुत्र अक्षय कुमार युध्द मे मारे गये |

अक्षय कुमार के बाद रावण के दूसरे पुत्र मेघनाथ रण मे आ गये और मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण को शक्ति लग गयी | लक्ष्मण को बचाने के लिये हनुमान ने लंका के वैद्य को बुलाया और संजीवनी पर्वत उठा लाये |

संजीवनी से लक्ष्मण की जान बच गयी और प्रभु श्रीराम के भाई पूनश्य एकबार रन मे पोहच गये | अगले दिन मेघनाथ फिरसे युध्द करने के लिये आ गये लेकिन उनको हार ना पडा |

प्रभु श्रीराम लंका के विरो को एक के बाद एक को मारे जा रहे थे | आखिर रावण के सभी पुत्र युध्द मे मारे गये और मंदोदरी रावण को सलाह दे रही थी की स्वामी अभी भी समय है श्रीराम के शरण मे आजाओ वरना इसका अंजाम बोहोत बुरा होगा |

लेकिन रावण किसीकी भी ना सुनकर अपने छोटे भाई कुम्भकर्ण को प्रभु श्रीराम के साथ युध्द करने का आदेश देते है | कुम्भकर्ण ब्रम्हा जी के श्राप से 6 माह सोता था और 6 माह खाना खाता था |

कुम्भकर्ण युध्द करने के लिये रण मे गया और मारा गया | और आखिर मे बारी थी लंकापति रावण की | लंकापति रावण युध्द मे हार कर मारे जाते है | और रामायण का अंत हो जाता है प्रभु श्रीराम के हाथो बीबीषण लंका के राजा बन जाते है और श्रीराम भरत को दिया वचन निभाते अयोध्या लौट जाते है |

 

 || जय श्री राम ||

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