होली का त्योहार क्यू मनाया जाता है? सम्पुर्ण जानकारी हिंदी | Holi festival.

होली का त्योहार: नमस्कार दोस्तों आज हम आपको बताएंगे की हिंदू धर्म मे मनाया जाने वाला उत्सव मतलब ” होली ” क्यू मनाई जाती हैं, और होली उत्सव की पौराणिक कथा |

होली की सभी जानकारी हम आपको देने वाले है | हमारे वेबसाइट पर सन, उत्सव की सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको बताइ जाती हैं | प्रभु श्रीराम के राममंदिर से लेकर सम्पुर्ण रामायण की कहानी हमने हमारे वेबसाइट पर डाली है आप उन्हे अवश्य पढ़ना | तो चलिए शुरू करते है होली की जानकारी |

 

होली क्यू मनाई जाती है –

दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म मे बोहोत सारे सन, उत्सव है जैसे की दिवाली, संक्रांति, गुढीपाडवा, जयंती आदि उत्सव है | और सभी उत्सव हम धूम धाम से मनाते है |

होली का त्योहार क्यू मनाया जाता है? सम्पुर्ण जानकारी हिंदी | Holi festival.
होली का त्योहार क्यू मनाया जाता है? सम्पुर्ण जानकारी हिंदी | Holi festival.

इसमे से एक उत्सव है होली | होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। होली उत्सव हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली उत्सव की एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है |

होली उत्सव की कहानी – 

राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यपु की पत्नी कयाधु गर्भवती थी | कयाधु की कोख मे श्रीहरी विष्णु जी का अवतार था | की पत्नी कयाधु गर्भवती थी | कयाधु की कोख मे श्रीहरी विष्णु जी का अवतार था |

हिरण्यकश्यपु एक अत्याचारी राक्षस था और उसके कर्मो की शिक्षा देने के लिये ही भगवान श्रीहरी विष्णु अवतार लेने वाले थे |

लेकिन ये बात राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य को पता चलती है और शुक्राचार्य हिरण्यकश्यपु के पास जाता है और उसे बताता है की है मेरे शिष्य हिरण्यकश्यपु दानव लोक पर तुम्हारे अत्याचार बोहोत हो गये तुमको तुम्हारे पापो की शिक्षा देने के लिये स्वयम भगवान श्रीहरी विष्णु अवतार लेंगे और तुम्हे मृत्यु दंड देंगे |शुक्राचार्य की बात सुनकर हिरण्यकश्यपु बोहोत क्रोधित हो गया | और उसने शुक्राचार्य को बताया है गुरुवर विष्णु मेरा काल बनकर आये उसके पहले ही मे उसे मार दूंगा | इस बात पर राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य ने जवाब दिया की हिरण्यकश्यपु तुम्हे मारने वाला तुम्हारा बेटा ही होगा |

तुम्हारी पत्नी कयाधु गर्भवती है और उसके कोख मे स्वयम भगवान विष्णु ही है | इस बात पर हिरण्यकश्यपु क्रोधित हो गया और उसने अपनी पत्नी को मारने की कोशिश करी लेकिन ब्रम्हपुत्र नारद ने हिरण्यकश्यपु के हाथों उसकी पत्नी की जान बचायी और उसे अपने आश्रम ले आये |

नारद के आश्रम मे क़ायाधु रहने लगी और आश्रम मे ही उनको पुत्र प्रल्हाद की प्राप्ति हो गयी | प्रल्हाद सदैव विष्णु की प्रार्थना करते थे | श्रीहरी विष्णु को प्रल्हाद अपना गुरु मानते थे | दिन गुजर गये और प्रल्हाद 6 – 7 साल का हो गया तब ओ अपने घर मतलब हिरण्यकश्यपु के राज्य मे लौट आ गयी |

लेकिन हिरण्यकश्यपु ने उसे शिक्षा प्रधान करने के लिये अपने गुरु शुक्राचार्य के दोनों बेटे के पास भेज दिया | दोनों गुरुपुत्रो ने उसे शिक्षा दी लेकिन प्रल्हाद सदैव श्रीहरी विष्णु का ही जाप करते थे |

इस बात पर हिरण्यकश्यपु क्रोधित हो गये और उसने प्रल्हाद को मारने का ठान लिया | उसने प्रल्हाद को समुद्र मे फेक देने की कोशिश करी लेकिन प्रल्हाद का बाल भी बाका नही हुआ हिरण्यकश्यपु ने प्रल्हाद को मारने की हद पार करी लेकिन प्रल्हाद को कुछ भी नही हुआ |

होलिका का दहन – 

एक दिन हिरण्यकश्यपु की बहन ने उसे कहा की मुझे अग्नि मे भी कुछ नही होगा ये वरदान मिला है | और मे प्रल्हाद को अग्नि मे जला सकती हु |

हिरण्यकश्यपु खुश होकर उसने अग्नि दहन की तयारी करी | होलिका के गोद मे बिठाकर अग्नि मे बेठ गयी सैनिको ने अग्नि दहन किया प्रल्हाद अग्नि मे भी भगवान श्रीहरी विष्णु का नाम का जाप कर रहे थे अग्नि मे होलिका भस्म हो गयी लेकिन प्रल्हाद जीवित रह गये |

होलिका भस्म न होने का वरदान सिर्फ खुद के लिये मिला था | लेकिन होलिका श्रीहरी विष्णु के भक्त प्रल्हाद को लेकर अग्नि दहन मे बैठ गयी इसीलिए होलिका भस्म हो गयी | तब से होली का उत्सव मनाने की परंपरा है |

दोस्तों हमने आज के आर्टिकल मे होली के उत्सव की जानकारी आपको बताइ है | हिन्दू धर्म मे होली एक धूम धाम से मनाने वाला सन है ये हमने आपको बताया है | होली के दिन सभी गाओ मे चने और विविध राशि को अग्नि मे डालकर जलाया जाता है | होली मे दहन करने के लिये गोबर के गौरीयो का इस्तेमाल किया जाता है | होली के अगले दिन रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है | रंगपंचमी के दिन एक दूसरे को रंग लगाने की प्रथा है | सभी मित्र एवं शत्रु को भी रंग लगाते है |

रंगपंचमी का त्योहार भी हम धूम धाम से मनाते है | रंगपंचमी का त्योहार बच्चे ही नही तो सभी पुरुष एवं महिला भी मनाती है | गाओ मे इस उत्सव के दिन सभी घरों मे मीठा भोजन बनाते है | और उस दिन गाओ और शहरों मे भी विविध कार्यक्रम आयोजीत किये जाते है | उस कार्यक्रम मे नाच, गाने, नाटक का भी आयोजन किया जाता है |

तो दोस्तों आज के आर्टिकल मे बताया गया होली का महत्व आपको पसंद आ गया तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर  जरूर शेअर करना धन्यवाद |

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