रामायण की कहानी, बालकाण्ड भाग 1 | ramayan ki kahani baalkand.

रामायण ( ramayan) की  सम्पुर्ण जानकारी हिंदी मे

नमस्कार दोस्तो राम मंदिर का अनावरण 22 जनवरी को होने वाला है | प्रभु श्री राम की प्राणप्रतिष्टा धूम धाम से होने वाली है | आज हम आपको प्रभु श्रीराम जी के रामायण के बारेमे बताएंगे |

रामायण हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ है | रामायण मे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी के जन्म से लेकर श्री राम चंद्र ने किया रावण वध तक बताया हुआ है | रामायण मे 24000 श्लोक और 500 सर्ग है | और रामायण बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, कीष्कींधाकाण्ड , सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, और उत्तराकाण्ड आदि 7 भाग मे रामायण का लिखाण किया गया है | हम भी आपको सभी रामायण 7 भाग मे बताएंगे |

रामायण के लिखे हुये श्लोक से प्रभु श्रीराम जी के जन्म को और रामायण मे हुये यूद्ध को 1 करोड 84 लाख साल का समय बित चुका है | और प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग मे हुआ था |

एक आदर्श पिता, आदर्श पुत्र, आदर्श पत्नी, आदर्श माता, आदर्श भाई, आदर्श भक्त की सिख वाल्मीकी रामायण मे मिलती है |

रामायण का लिखाण किसके किया –

रामायण की कहानी, बालकाण्ड भाग 1 | ramayan ki kahani baalkand.
रामायण की कहानी, बालकाण्ड भाग 1 | ramayan ki kahani baalkand.

हमने बताया की रामायण एक हिंदू धर्म मे पवित्र माना जाने वाला ग्रंथ है | इस ग्रंथ का लिखाण वाल्मीकी जी ने किया है | ब्रम्हा जी के आदेश से वाल्मिकी जी ने ये रामायण जैसा पवित्र ग्रंथ का लिखाण किया था |

वाल्मिकी जी का परिचय उन्होंने स्वयम अपने ग्रंथ रामायण मे किया था की वे प्रचेता का ओरस पुत्र है | उनका जन्म ब्राम्हण कुल मे हुआ था | और रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ मे उनका महत्वपूर्व योगदान है |

तो आज से रामायण के सभी काण्ड की जानकारी को शुरूवात करते है | आशा करता हु आपको हमने दियी रामायण जुड़ी सभी जानकारी पसंद आएगी |

 

1 ) बालकाण्ड :

रामायण मे सबसे पहला भाग आता है बालकाण्ड | राजधानी अयोध्या नगरी के राजा अयोध्या नरेश दशरथ कई सालो से पुत्र प्राप्ति के लिये यज्ञ कर रहे थे लेकिन अयोध्या नरेश दशरथ को पुत्र नही हो रहा था |

अयोध्या नरेश महाराज दशरथ जी की तिन पत्नियों थी | कौशल्या, कैकई और सुमेत्रा | तीनो को भी कोई संतान नही थी | और अपने उत्तराधिकारी की चिंता अयोध्या नरेश दशरथ को सताती थी | आखिर जेष्ट ऋषियो से य यज्ञ करके अयोध्या नरेश दशरथ को 4 पुत्रो की प्राप्ति हो गयी | कौशल्या को राम, कैकई को भरत और सुमेत्रा को लक्ष्मण और शत्रुघन जैसे सुशील पुत्र अयोध्या नरेश महाराज दशरथ को प्राप्त होते है | राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन ये चारो भाई अपने आचार और विचार से अयोध्या नगरी मे रेहते थे |

और मिथिला नगरी के राजा महाराज जनक को भी कोई संतान नही थी | संतान प्राप्ति के लिये विविध उपाय महाराज जनक ने किये थे | एक दिन अपने मिथिला मे महाराज जनक हल चला रहे थे | हल चलाते समय उनका हल एक धातु से टकराया और उस धातु से एक सुंदर कन्या निकली | मिथिला नरेश जनक ने उस कन्या का संभाल किया और ओ कन्या सीता थी |

 

धीरे धीरे सीता बड़ी हो गयी और अयोध्या मे राम भी बडे हो गये थे | मिथिला मे सीता के विवाह के लिये स्वयंवर रखा था | उस स्वयंवर मे शिव जी का धनुष्य उठाकर रस्सी खिचनि थि |

उस स्वयंवर मे विविध राज्यो से राजकुमार आ गये मगर किसीसे भी धनुष्य उठा नही पाता है | आखिर प्रभु श्रीराम ने शिव जी के धनुष्य को उठाकर स्वयंवर का पण पुरा किया |

स्वयंवर के मुताबित मिथिला नरेश ने अपनी पुत्री सीता का विवाह अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र राम से किया | और मिथिला नरेश महाराज जनक की बाकी तिन कन्या उर्मिला, मांडवी, श्रुतकीर्ती इन तीनो कन्या का विवाह अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के बाकी तिन पुत्र लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन से किया गया |

लक्ष्मण का विवाह उर्मिला से भरत का विवाह मांडवी से शत्रुघन का विवाह श्रुतकीर्ती से हो गया | आज रामायण का पहला भाग बालकाण्ड संपन्न हो गया और अगला भाग अरण्यकांड कल देखेंगे |

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